महाभारत और रामायण दो ऐसे महाकाव्य हैं जिनकी अनेक कथाएं अभी भी बहुत सारे लोगों के लिए रहस्य बनी हुई है. नई नई प्रकार की खोज दो महाकाव्यों को लेकर के आए दिन होती रहती है. विशेष रूप से महाभारत दो बहुत विस्तृत महाकाव्य है.
इसके अनेक पात्रों के बारे में बहुत सारी बातें अभी लोगों को पता नहीं है. आप जानते हैं मैं पांच पांडवों के एक पत्नी थी इसका नाम द्रोपदी था. राजा द्रुपद की पुत्री थी द्रोपदी. द्रोपदी की शादी के लिए एक स्वयंवर का आयोजन किया गया था. जिसमें अर्जुन ने स्वयंवर की शर्त को पूरा किया और द्रोपदी को अपनी पत्नी बना लिया.
जिस समय द्रौपदी का स्वयंवर हुआ अर्जुन द्रौपदी को लेकर घर आए तो उन्होंने दरवाजे से अपनी मां कुंती से कहा देखो मां आज हम लोग आपके लिए क्या लाए हैं. कुंती अपने घर के कामों में व्यस्त थी उन्हें उन्होंने बिना देखे कहा पांचों भाई मिलकर आपस में बाँट लो.
यह सुनकर द्रोपदी बहुत विचलित हो गई. इस बात पर महर्षि व्यास जो महाभारत के रचयिता हैं, उन्होंने बताया है कि द्रोपदी को उसके पूर्व जन्म में भगवान शंकर ने यह वरदान दिया था की वह पांच पांडवों की पत्नी बनेगी. पांच पति होंगे उसके.
इसके बाद पहले दिन द्रोपदी का विवाह सबसे बडे पांडव युधिष्ठिर के साथ किया गया. द्रोपदी ने युधिष्ठिर के साथ विवाह करके उस रात उनके साथ अपना पत्नी धर्म निभाया. दूसरे दिन द्रोपदी का विवाह भीम के साथ हुआ. भीम के साथ द्रोपदी अपना पत्नी धर्म निभाती है. अगले दिन अर्जुन, फिर नकुल और सहदेव के साथ द्रोपती का विवाह किया गया. उन तीनों के साथ भी द्रोपती ने हर दिन अपना पत्नी धर्म निभाया.
लेकिन आप सोच सकते हैं की यह कैसे हो सकता है कि एक पति के साथ एक पत्नी धर्म निभाने के बाद दूसरे पतियों के साथ अपना पत्नी धर्म कैसे निभा सकती है. एक तरह से वह एक पति के साथ अपना कौमार्य भंग कर चुकी है. लेकिन आपको जानकारी के लिए बता दें की द्रोपदी को यह वरदान भी मिला हुआ था कि वह प्रतिदिन कन्या भाव यानी अपना कोमार्य प्राप्त कर लेगी. इस तरह से द्रोपदी ने पांचों पतियों के साथ अपना पत्नी धर्म निभाया.
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