आज 72 वां स्वतंत्रता दिवस है. पूरे देश में यह आजादी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. आज आजादी के पर्व पर हम आपको कुछ खास बात बताते हैं, जिसके बारे में संभवत: आपको जानकारी नहीं होगी.
15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था. जिस दिन हमारा देश आजाद हुआ तब महात्मा गांधी दिल्ली से हजारों किलोमीटर नोआखली में थे ठहरे हुए थे. नोआखली बंगाल में है. वहां पर महात्मा गांधी मुसलमान और हिंदुओं के बीच सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे.
जब आजादी का पर्व 15 अगस्त को मनाया जाना तय हो गया था. अर्थात भारत 15 अगस्त को आजाद होगा, यह तय हो गया था. उस समय सरदार वल्लभ भाई पटेल और जवाहरलाल नेहरू ने स्वाधीनता दिवस के कार्यक्रम के लिए महात्मा गाँधी को पत्र लिख कर आमंत्रित किया.
इस पत्र में लिखा गया था –‘15 अगस्त हमारा पहला स्वाधीनता दिवस होगा. आप इसमें शामिल हो अपना आशीर्वाद दें.’ लेकिन गाँधी जी नहीं आए. हिंदू मुस्लिम संप्रदाय के झगड़ों के कारण महात्मा गांधी बहुत दुखी थे. इसलिए उन्होंने पत्र का जवाब इस तरह दिया-‘जब लोगों में झगड़ा हो रहा है, एक दूसरे की जान ले रहे हो, तो ऐसे में मैं जश्न मनाने के लिए कैसे आ सकता हूं.’
गाँधी जी आजादी का जश्न मनाने के लिए नहीं गए और वे कोलकाता में ही हिंदू मुस्लिमों के साम्प्रदायिक झगड़ों को खत्म करने में लगे रहे. बल्कि आजादी के बाद भी लगातार देश सेवा करते रहें. न्यूज सोर्स aajtak.com
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