भारत में बाबाओं की कमी नहीं है. बाबाओं की क्या अम्माओं की भी कमी नहीं है अर्थात साधु एवं साध्वी बहुतायत मात्रा में यहां पर मौजूद है. आपने पुरुष नागा साधुओं के बारे में तो बहुत सुना होगा लेकिन क्या आप नागा साध्वियों के बारे में जानते हैं. आइए आज हम उनकी कुछ रहस्य की बातें बताते हैं.
नागा साध्वी बनने से पहले महिला को यह साबित करना पड़ता है कि उसका परिवार और संसार से बिल्कुल मोहभंग हो चुका है. वह सिर्फ भगवान की भक्ति में लीन होना चाहती है तब वह दीक्षा ग्रहण कर सकती है.
नागा साध्वी बनाने से पहले उस महिला के घर परिवार एवं जीवन के बारे में अखाड़े की वरिष्ठ साध्वियां एवं साधू जांच पड़ताल करती हैं. जब सब कुछ सही होता है तब ही उस महिला को साध्वी बनाया जाता है. साध्वी बनने से पहले 6 से 12 वर्ष तक कठिन ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है. नागा साध्वी बनने से पूर्व महिला को स्वयं का पिंडदान करना पड़ता है जो कि आमतौर पर मरने के बाद ही किया जाता है. नागा साध्वी बनने से पहले महिला को मुंडन करवाना पड़ता है और नदी में जाकर स्नान करना पड़ता है.
सिंहस्थ और कुंभ में साध्वियों नागा साधुओं के साथ ही स्नान करती है. अखाड़े में साधु एवं साध्वी में किसी प्रकार का भेद नहीं होता है. नागा साध्वी को अखाड़े के साधु माता कहकर संबोधित करते हैं लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इन साध्वियों को नागा कहा जाता है फिर भी यह एक पीला वस्त्र लपेटकर रहती हैं. वस्त्र पहन कर ही स्नान करती हैं जबकि नागा साधु निर्वस्त्र रहते हैं.
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