दोस्तों आपने सुना होगा कि मंदिर में जा कर के प्रसाद बांटा जाता है. भगवान की मूर्ति पर प्रसाद चढ़ाते हैं. बच्चे प्रसाद खा कर के बहुत खुश भी होते हैं. प्रसाद सभी लोगों को वितरित किया जाता है. मनोकामना जल्दी पूर्ण होती है. अच्छा भी लगता है. लेकिन क्या आपने कभी सुना है मंदिर पर यानि किसी धार्मिक स्थल पर जूते चप्पल का प्रसाद मिलता है.
बल्कि मंदिर और इस तरह के धार्मिक स्थलों पर तो जूते चप्पल पहनकर अलाउ भी नहीं है अंदर जाना. मंदिर की चारदीवारी के बाहर ही जूते चप्पल निकाल दिए जाते हैं. लेकिन फिर भी आज हम आपको एक ऐसी खबर बताते हैं, की एक मंदिर में जूते चप्पल चढ़ाए जाते हैं.
हो सकता इस खबर पर विश्वास ना करो. लेकिन यह सच्ची खबर है. यहां मंदिर में भगवान को प्रसाद के रूप में जो वस्तु चढ़ाई जाती है वह जूते और चप्पल ही है. भोपाल के कोलार इलाके में स्थित जीजी बाई का यह मंदिर है. भक्तों को प्रसाद के रूप में जूते और चप्पल दिए जाते हैं. अनेक वर्षों से चली आ रही है यहाँ यह परम्परा.
जितने भी भक्त इस जीजी भाई के मंदिर में आते हैं. वे सभी यहां पर जूते चप्पल चढ़ाते हैं. भारी संख्या की मात्रा में यहां पर भक्तों की भीड़ लगती है. जूते चप्पल बहुत इक्कठे हो जाते हैं. ये जूते चप्पल जो इकट्ठे होते हैं दूसरे भक्तों को बांट दिए जाते हैं.
इस मंदिर में एक खास बात और है. जीजी भाई की मूर्ति की कपड़े दिन में अनेक बार बदले जाते हैं. क्योंकि वहां के महाराजाओं का यह मानना है इससे देवी प्रसन्न रहेगी. मंदिर के सेवक देवी की देखभाल एक बेटी की तरह करते हैं. जूते चप्पल का प्रसाद चढ़ाने से इन लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है, ऐसी प्रथा यहां पर सदियों से चली आ रही है.
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