दोस्तों आज की स्थिति में शिक्षा का दर बहुत बढ़ गया है. शिक्षा का प्रतिशत सिर्फ ऐसे ही नहीं बढ़ा है आंकड़ों में, बल्कि वास्तव में लोगों ने अनेक डिग्रियां हासिल कर ली हैं. लेकिन उसके साथ-साथ बेरोजगारी भी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है.
बेरोजगारी का आलम इस कद्र बढ़ गया है की उसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं की PHD और MBA जैसे बड़ी डिग्रियों वाले युवक भी चपरासी की नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं. क्या आपने कभी विचार किया एसी स्थिति क्यों हो रही है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? क्यों इतनी अधिक और बड़ी डिग्री लेने के बाद भी नौकरियां नहीं मिल रही हैं?
चाहे सरकारी डिपार्टमेंट हो या प्राइवेट सेक्टर नौकरी अब प्रतिशत या प्रतिभा के आधार पर नहीं मिलती है. बल्कि अधिकतर जगह पर नौकरियां पैसे और पहचान के बलबूते पर मिलती हैं. ऐसी स्थिति में जिन लोगों के पास पैसे और पहचान ये 2 चीजें हैं, नौकरियां वही प्राप्त कर रहे हैं और ये दोनों चीजें उसी के पास है, जिसके माँ –बाप या कोई रिश्तेदार पहले से नौकरी में हैं.
फिर वे लोग कहाँ जाएँ जिन्होंने जैसे तैसे अपने माँ-बाप की कमाई से, भूखे-प्यासे रहते हुए डिग्रियां ले ली हैं. सरकार भी इनकी और ध्यान नहीं दे रही है. चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो वह बेरोजगारी कम नहीं कर रही बल्कि बढ़ा ही रही है. जबकि किसी भी प्रकार के सरकारी विभाग में जाकर आप देख लीजिए काम अधिक है और कम करने वाले कर्मचारी कम हैं.
स्कूल, कॉलेज, होस्पिटल, विद्युत विभाग, जल विभाग, कोर्ट, कचहरी आदि सभी जगह यही आलम है. लगभग हर जगह पर सरकार पैरा कर्मचारी की व्यवस्था कर रही है. मतलब इन में से किसी विभाग में यदि 5 कर्मचारी चाहिए तो उसकी जगह एक पैरा कर्मचारी रखेंगे. जिससे काम अन्य परमानेंट कर्मचारी जितना ही लिया जायेगा लेकिन वेतन मात्र 5 या 7 हजार दिया जायेगा. सोचिए एसी स्थिति में क्या होगा. उन बेरोजगारों का जिन्होंने बड़ी बड़ी डिग्रियां ले रखीं हैं. यदि सहमत हैं तो इस पोस्ट को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाए.
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