राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर एवं रंग संस्कार थियेटर ग्रुप अलवर के सहयोग से आयोजित युवा नाट्य समारोह 16 से 18 नवंबर 2018 में आज 16 नवंबर को शाम 6:30 महावर ऑडिटोरियम में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित, संकेत जैन द्वारा निर्देशित नाटक ‘गोडो के इंतजार में’ खेला गया. ‘गोडो के इंतजार में’ नाटक सैमुअल बैकेट के द्वारा लिखा गया है. 1946 में लिखा गया ‘गोडो के इंतजार में’ नाटक विश्व के अनेक कौनो में अनेक बार खेला गया है. सैमुअल बैकेट का लिखा हुआ यह मूल नाटक अंग्रेजी में है. इसका नाम है ‘वेटिंग फॉर गोडो’.
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नाटक में मूलतः दो अधेड़ उम्र के व्यक्तियों को किसी गोडो के इंतजार करते हुए दिखाया गया है. लेकिन वे इंतजार करते करते बूढ़े हो गए हैं. बेतहाशा और परेशान हो गए हैं. फिर भी गोडो नहीं आया है. वे उसका इंतजार कर रहे हैं. मूल यह गोड़ों कौन है? यह एक बड़ा प्रश्न यह नाटक उठाता है. आम आदमी जिस तरह आज भी देश में बदलाव की स्थिति का इंतजार कर रहा है. उसकी बदतर स्थिति बेहतर होगी इसका इंतजार कर रहा है. समाज में अनैतिकता, बेईमानी, भ्रष्टाचार, असंगतिया कम होगी इसका इंतजार कर रहा है. वास्तविक रूप से लोकतंत्र का निर्वहन राजनेता करेंगे इसका इंतजार कर रहा है.
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इसी तरह के अनेक प्रश्न यह नाटक उठाता है. वेटिंग फॉर गोडो सैमुअल बैकेट का विश्व प्रसिद्ध नाटक है. अनेक लोगों ने अपने तरीके से इसे समझ कर अनेक बार प्रयोगात्मक दृष्टि से खेला है और हर बार खेलने पर नया दृष्टिकोण इस नाटक के माध्यम से पैदा होता है. वास्तव में इस तरह के बड़े नाटक की संभावना अलवर जैसे शहर में हो ना ही अपने आप में रंगकर्म को बढ़ावा देने की बात है. गोडो के इतंजार में अभिनय करने वेले कलाकारों में –ऐस्तरागो की भूमिका में महमूद अली ने बहुत खूबसूरत अभिनय किया. अपने संजीदा अभिनय के माध्यम से निश्चित रूप से महमूद अली ने लोगों को मजबूर कर दिया तालियाँ बजाने के लिए. क्लादिमीर के पात्र के रूप में उमेश वर्मा का अभिनय लोगों को बहुत खूबसूरत लगा. पोजो का शानदार अभिनय किया योगेन्द्र सिंह ने.
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लकी के रूप में रोहन सिंह एवं बच्चा के रूप में ओम लक्ष्मी धर्मेंद्र मंच पर नजर आये. इन सभी कलाकारों ने अपने खूबसूरत और संजीदा अभिनय से दर्शकों को दो घंटे तक बांधे रखा. जिन लोगों को खूबसूरती के साथ दर्शकों ने मंच पर देखा. उन लोगों को मंच पर लेन में जिनकी बहुत बड़ी भूमिका रही. मंच व्यवस्था –आशिफ शेर अली खान. मंच निर्माण का कार्य राजकुमार राजपूत एवं प्रवीण सिंह ने किया. मेकअप- प्रीति दुबे का रहा. प्रकाश व्यवस्था संभाली -सक्षम खंडेलवाल ने. एवं सहायक निर्देशक किया करणी सिंह चारण ने.
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