दीपावली का पर्व 5 दिवसीय पर्व होता है. धनतेरस, छोटी दीपावली, बड़ी दीपावली, गोवर्धन पूजा और फिर भैया दूज. भैया दूज को मनाने की परंपरा पुराणों में विस्तृत रूप से दी गई है. लेकिन बहुत सारे लोग इस कथा को और भैया दूज के मनाने की परंपरा को अच्छे से नहीं जानते हैं. आज हम आपको बताते हैं इसकी कथा के पीछे जो मुख्य कारण है वह क्या है.
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भगवान सूर्य नारायण की पत्नी छाया ने यमराज और यमुना को जन्म दिया था. अर्थात यमराज और यमुना दोनों भाई बहन थे. यमुना यमराज से हमेशा ही निवेदन करती रहती थी कि वे अपने इष्ट मित्रों के साथ आकर उनके घर पर भोजन करें. लेकिन यमराज को समय नहीं मिलता. वे कभी आते नहीं थे.
एक दिन यमुना ने यमराज को अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर दिया. जब यमुना ने ऐसा किया तो यमराज को उनके घर आना पड़ा. जब कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमराज यमुना के घर पहुंचे थे तो यमुना बहुत खुश हुई. भाई के आने पर बहन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
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यमुना ने स्नान कर, पूजा की. बहुत अच्छे-अच्छे व्यंजन बना करके अपने भैया को खिलाएं. यमराज यमुना द्वारा किए गए इस सत्कार से बहुत ही खुश हुए. अपनी बहन यमुना को वर मांगने के लिए कहा.
उसके बाद यमुना ने जो वर मांगा वह यह था की आप हर साल इसी तरह से मेरे घर इसी दिन आया करो. मेरी तरह जो भी बहने हैं वह अपने भाई का इसी तरह आदर सत्कार करें. टीका लगाएं. उनकी दीर्घायु की कामना करें. यमराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने वचन दिया की ऐसा ही होगा.
तब से दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन और उसके बाद भैया दूज का पर्व पूरे देश में ही नहीं बल्कि विश्व में अनेक जगह पर जहां-जहां इसकी मान्यता वाले लोग हैं , वहां बड़ी धूमधाम से मनाते हैं.
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