दुष्यंत कुमार का एक शेर है –‘कौन कहता है आसमान में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो’. व्यक्ति चाहे तो वास्तव में कुछ भी कर सकता है. कोई भी कार्य नामुमकिन नहीं है. बशर्ते कि उसे करने की जिद ठान ले और जितना प्रयास, जितनी मेहनत उस काम के लिए जरूरी है, उतनी मेहनत करें तो निश्चित रूप से उसे सफलता मिलेगी.
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चित्तौड़गढ़ के गोगुंदा के ग्राम पंचायत के गाँव देवड़ा का गुड़ा में एक ऐसा ही काम हो गया. गांव से श्मशान घाट तक का रास्ता बहुत बदहाल था. रस्ते में बड़े-बड़े पत्थर पड़े हुए थे. जिसके कारण शव यात्रा ले जाने में ग्रामीण वासियों को बहुत अधिक परेशानी उठानी पड़ जाती थी.
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जब भी चुनाव होते हैं तो हर बार यहाँ की समस्या गांव वाले नेताओं को बताते थे. किसी भी पार्टी का नेता हो. हर बार आश्वासन देता था. पंच सरपंच से लेकर एमएलए तक के सामने यह समस्या रखी गई. उन्होंने इस समस्या का समाधान नहीं किया.
आखिर इस समस्या से निजात पाने के लिए गांव वालों ने यह काम करने की ठानी और सब ने मिलकर चंदा इकट्ठा किया नब्बे हजार का. पहले चरण में उन्होंने जेसीबी की सहायता से बड़े-बड़े पत्थरों को साइड में हटाया. समतल सड़क बनाने का काम शुरू किया और सबने मिलकर के उस सड़क को समतल और ठीक कर दिया.
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एक भी पत्थर वहां पर ऐसा नहीं है जिसके कारण आने जाने में दिक्कत हो. इस तरह गांव वालों ने साबित कर दिया कि व्यक्ति चाहे तो कुछ भी कर सकता है.
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