समाज में चल रही अनेक सामाजिक रूढ़ियां और मिथकों को तोड़ने का प्रयास लगातार लोग कर रहे हैं. राजस्थान के ब्यावर में एक ऐसी ही बड़ी खबर आई है. ब्यावर की एक बहू ने सास की अर्थी को कंधा देकर समाज के सामने नई मिसाल पेश की है.
मुक्तिधाम में दो पोतियों ने अपनी दादी की चिता को मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार की रस्म पूरी की. संभवत यह देश का पहला उदाहरण है, जब मुक्तिधाम में महिलाओं ने महिला का पूर्ण अंतिम संस्कार किया. अन्यथा मुक्तिधाम में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है.
सामाजिक रूप से पुराने समय से इस तरह की रीति रिवाज चली आ रही है. एक उदाहरण बहुत वर्ष पहले भरतपुर में आया था. आर्मी के शहीद को उसकी पत्नी ने कंधा दिया था. लेकिन मुक्तिधाम तक वह भी नहीं गई थी.
आपको बता दें कि ब्यावर की रहने वाली राजपूत समाज की 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला नीलम भाट्टी का रविवार को देर रात निधन हो गया. इनके परिवार में कोई भी पुरुष नहीं है. इस कारण से उनकी बहू जिनका नाम कल्पना है. उसने अपनी सास की अर्थी को कंधा दिया और उनकी दो पोतियों ने अपनी दादी के अंतिम संस्कार की रस्म को पूरा किया.
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दरअसल शादी के कुछ समय पश्चात ही नीलम के पति का निधन हो गया था. उनके एक पुत्र था. जिसका नाम गजेंद्र सिंह था. जब वह 15 साल का हुआ तभी किसी बीमारी के कारण उसकी मृत्यु हो गई. ऐसे में सास बहू और अपनी दो पोतियों के साथ में नीलम रहती थी. उनके घर में कोई पुरुष नहीं था. इसी कारण उन्होंने ऐसा करके समाज के सामने एक नई मिसाल पेश की.
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