BREAKING NEWS

Contact

Wednesday, November 14, 2018

The daughter-in-law of Rajput society gave up the meaning of her breath .: राजपूत समाज की बहू ने अपनी सांस की अर्थी को दिया कंधा


समाज में चल रही अनेक सामाजिक रूढ़ियां और मिथकों  को तोड़ने का प्रयास लगातार लोग कर रहे हैं. राजस्थान के ब्यावर  में एक ऐसी ही बड़ी खबर आई है. ब्यावर की एक बहू ने सास की अर्थी को कंधा देकर समाज के सामने  नई मिसाल पेश की है.
मुक्तिधाम में दो पोतियों  ने अपनी दादी की चिता को मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार की रस्म पूरी की. संभवत यह देश का पहला उदाहरण है, जब मुक्तिधाम में महिलाओं ने महिला का पूर्ण अंतिम संस्कार किया. अन्यथा मुक्तिधाम में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है.
credit: third party image reference

सामाजिक रूप से पुराने समय से इस तरह की रीति रिवाज  चली आ रही है. एक उदाहरण बहुत वर्ष पहले भरतपुर में आया था. आर्मी के शहीद को उसकी पत्नी ने कंधा दिया था. लेकिन मुक्तिधाम तक वह भी नहीं गई थी.
credit: third party image reference


आपको बता दें कि ब्यावर की रहने वाली राजपूत समाज की 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला नीलम भाट्टी  का रविवार को देर रात निधन हो गया. इनके परिवार में कोई भी पुरुष नहीं है. इस कारण से उनकी बहू जिनका नाम कल्पना है. उसने अपनी सास की अर्थी को कंधा दिया और उनकी दो पोतियों ने अपनी दादी के अंतिम संस्कार की रस्म को पूरा किया.
Image result for shamshan .credit: third party image reference

दरअसल शादी के कुछ समय पश्चात ही नीलम के पति का निधन हो गया था. उनके एक पुत्र था. जिसका नाम गजेंद्र सिंह था. जब वह  15 साल का हुआ तभी किसी बीमारी के कारण उसकी मृत्यु हो गई. ऐसे में सास बहू और अपनी दो पोतियों के साथ में नीलम रहती थी. उनके घर में कोई पुरुष नहीं था. इसी कारण उन्होंने ऐसा करके समाज के सामने एक नई मिसाल पेश की.

Post a Comment

 
Copyright © 2014 hindi ki bindi Powered By Blogger.