अभी अभी दीपावली गई है. दीपावली से पूर्व लगभग हर जगह पर विशेष रूप से भारत में रामलीला का मंचन होता है. रामलीला के अंदर राम की कहानी बताई जाती है. लेकिन क्या आपको एक ऐसी कहानी का पता है, जिसमे माता सीता ने चार जीवों को श्राप दे दिया था और वे आज भी भुगत रहे हैं. आइए आज हम आपको वह कहानी बताते हैं.
जब राम वनवास में थे तो राजा दशरथ की उनके वियोग में मृत्यु हो गई. लेकिन जब भगवान राम और लक्ष्मण और सीता वापस लौटे तो वे अपने पिता का श्राद्ध करने फल्गु नदी के किनारे पर गए. वहां पर पिंडदान की सामग्री कम पड़ गई. भगवान राम और लक्ष्मण पिंडदान की सामग्री लेने चले गए.
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उनको आने में देर हो गई. तो पंडित ने माता सीता से कहा पिंडदान का समय निकला जा रहा है. राम यदि जल्दी ही सामग्री नहीं लेकर आए तो पिंडदान का कोई अर्थ नहीं है. जब सीता ने वहां पर उपस्थित पवित्र फल्गु नदी, गाय, पंडित और कोआ को साक्षी मानकर पिंड दान कर दिया.
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कुछ देर बाद भगवान राम और लक्ष्मण लौटे आए. सीता ने उनको साड़ी बात बता दी. इस बात पर भगवान राम को विश्वास नहीं हुआ. उन्होंने इन चारों जीवों से पूछा- क्या सीता सत्य कह रही है. राम के क्रोध को देखकर ये चारों डर गए. इन चरों ने कहा कि सीता झूठ बोल रही है. पिंडदान नहीं हुआ है.
लेकिन कुछ देर बाद सीता ने दशरथ का ध्यान करते हुए उनका स्मरण किया. तो स्वयं दशरथ प्रकट हुए और उन्होंने सच्चाई बताइए. इसके बाद भगवान राम का क्रोध तो शांत हो गया. लेकिन सीता जो क्रोध आ गया. उन्होंने इन चारों को श्राप दिया. जो इस प्रकार है.
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फल्गु नदी को श्राप दिया तुम हमेशा सूखी रहोगी. तब से लेकर आज तक फल्गु नदी सूखी है. गाय को श्राप दिया तुम माता की तरह पूजी जाओगी लेकिन झूठा खाना खाओगी. कौवा को श्राप दिया- तुम्हारा अकेला कभी पेट नहीं भरेगा, हमेशा झुंड में रहोगे और पंडित को श्राप दिता की तुम्हें कितना भी दान क्यों नहीं मिल जाए, तुम्हारी इच्छा पूरी नहीं होगी. ये आज तब इस श्राप को भुगत रहे हैं.
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