दोस्तों आपको यह पता होगा कि युग चार हैं. सबसे पहला सतयुग, फिर त्रेता, फिर द्वापर और कलयुग. युगों के अनुसार प्रकृति पर अलग-अलग तरह की प्रवृत्तियां रही हैं. सतयुग में ऐसा कहा जाता था की सभी लोग सत्य का पालन करते थे. उसके बाद त्रेता युगा जिसमें भगवान राम जी ने अवतार लिया. द्वापर युग में कृष्ण जी ने अवतार लिया और अब कलयुग चल रहा है.
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आप और हम सब मिलकर इसको भोग रहे हैं. जैसा व्यक्ति कर्म करता है उसके अनुसार उसे युग मिलता है. यह भी कहा जाता है कि यह क्रम चलता रहता है. कलयुग के बाद फिर सतयुग आएगा. एक तरह से पूरी प्रकृति कुछ समय के बाद नष्ट हो जाएगी.
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जिस प्रकार से वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पैमानों को मापने के लिए अलग अलग इकाइयां बनी रहती है. उसी प्रकार से युगों को अर्थात समय को मापने की भी कुछ इकाइयां होती हैं. समय की सबसे बड़ी इकाई को ही युग कहते हैं. इन युगों के वर्ष निर्धारित होते हैं. जो अनेक ग्रंथों में लिखे गए हैं. हर युग में निर्धारित वर्ष के बाद एक इकाई बदलेगी और दूसरा युग प्रारंभ होगा.
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कलयुग के कुल समावधि 432000 है और यह अभी तक 5118 वर्ष ही बीता है. अभी 426882 वर्ष अभी शेष है. इतना लंबा पीरियड अभी कलयुग का बाकी है और निश्चित रूप से ऐसा भी कहा जाता है जिस तरह से कलयुग का घटनाक्रम हर दो-तीन वर्षों के अंदर बदल रहा है, इससे कलयुग समाप्त होने से पहले सृष्टि नष्ट हो जाएगी.
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