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Sunday, October 21, 2018

A village where there are still many not many Kumbhalan : एक ऐसा गांव जहां आज भी एक नहीं अनेक कुंभकरण रहते हैं


दोस्तों अभी अभी दशहरा गया है. लेकिन दीपावली बाकी है. इन दिनों राम और रावण से संबंधित अनेक कहानियां टीवी पर दिखाई जा रही हैं. लोग रामलीला का मंचन कर रहे हैं. या  किसी दूसरे माध्यम से राम के जीवन के बारे में बताया जा रहा है.  
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आपको पता होगा रावण का एक भाई था. जिसका नाम था कुंभकरण. दशहरे पर रावण के साथ-साथ कुंभकरण का पुतला भी जलाया जाता है. लेकिन क्या आपको यह पता है कि आज भी एक ऐसा गांव मौजूद है जहां एक नहीं अनेक कुंभकरण हैं.
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कुंभकरण की कहानी तो आप जानते हैं, कि 6 महीने तक सोता था और 6 महीने तक जगता  था. सामान्य से अधिक सोने वाले व्यक्ति के लिए कुंभकरण की उपमा दे दी जाती है. कजाकिस्तान के अंदर एक गांव है. जिसका नाम है कलाची.  इस गांव में बहुत सारे लोग ऐसे हैं रात में तो सोते ही हैं  लेकिन चलते फिरते भी सोने लग जाते हैं.
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इसका एक अजीब कारण है, जिसका वजह हम आपको बताते हैं. यहां के बहुत सारे लोगों में एक बीमारी है जो सोने वाली बीमारी होती है. डॉक्टरों ने इसे महामारी का नाम दिया है. इस बीमारी में बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. इस बीमारी में अक्सर व्यक्ति होश में नहीं रहता है. कई दिनों तक सोता ही रहता है.
इस बीमारी वाले व्यक्ति को नींद अधिक आती है. उसको थकान बहुत होती है. वह बोलता भी अधिक नहीं है. इससे  बहुत कमजोर हो जाती है. इसके कारण ही अन्य बीमारी भी उनको हो जाती है. डॉक्टर ने बताया कि ऐसे लोग कई बार मति भ्रम के शिकार भी हो जाते हैं. ठीक ठीक चीज याद नहीं रहती है.
इसके पीछे एक वजह यह बताई जाती है की इस गांव से कुछ किलोमीटर दूर  यूरेनियम की एक खान है. हवा की वजह से उसका धुँआ इधर आता है. इसके प्रभाव के कारण इन लोगों को अधिक नींद आती है. क्योंकि वह धुँआ  बहुत ही जहरीला होता है. 

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