दोस्त महाभारत एक ऐसा महाकाव्य है जिसमें आज भी अनेक ऐसी कथा एवं उपकथाएं हैं जिनके बारे में हम पूर्णत: नहीं जानते हैं. कुछ लोगों ने महाभारत टीवी के माध्यम से देखी होगी, कुछ ने सिर्फ सुनी होगी या कुछ ने पढ़ी भी होगी.
बहुत सारे लोग जो पढ़ते हैं तो भी वह किसी भाषा के द्वारा अबुवादित दूसरी भाषा से पढ़ते हैं. बहुत सारे अनुवादक पूर्ण रूप से सही अनुवाद नहीं कर पाते हैं. इसलिए अनेक कहानियां छूट जाती हैं. आज हम आपको महाभारत की कुछ ऐसी रानियों के बारे में बताते हैं जिन्होंने अनैतिक संबंध बनाए थे.
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यहां तक उन सम्बन्धो से उन्हें संतान भी प्राप्त हुई थी. आप जानते हैं की सत्यवती का विवाह राजा शांतनु से हुआ था. शांतनु भीष्म पितामह के पिता थे. शांतनु से सत्यवती से दो राजकुमार जन्मे थे- विचित्रवीर्य और चित्रागंद.
लेकिन आपको बता दे सत्यवती का शांतनु के विवाह से पूर्व भी संबंध रह चुका है. उनका नाम था ऋषि पाराशर. सत्यवती और पराशर के संबंध से महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. विचित्रवीर्य और चित्रांगदा का विवाह अंबालिका और अंबिका नाम की राजकुमारियां से हुआ था.
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किंतु अचनक असमय इन दोनों राजकुमारों की मृत्यु हो गई. हस्तिनापुर पर उत्तराधिकारी की समस्या उत्पन्न हो गई. इसलिए वंस को आगे बढ़ाने के लिए स्वयं महारानी सत्यवती ने अंबिका और अंबालिका को व्यास से नियोग संबंध बनाने के लिए भेजा.
व्यास से सम्बंध बनाने पर पांडु और धृतराष्ट्र दो पुत्र प्राप्त हुए. लेकिन ये दोनों ही पुत्र शारीरिक रूप से अपांग थे. पांडू का विवाह राजकुमारी कुंती के साथ हुआ. कुंती ने भी पांडू से विवाह सन्तान को जन्म दिया था. दुर्वासा ऋषि ने कुंती के अतिथि देवो भव से खुशा होकर पुत्र प्राप्ति का मंत्य्र दिया था.
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इस गुप्त मंत्र के कारण ही करण को कुंती ने जन्म दिया था. यह भी विवाह से पूर्व की संतान है. इसके बाद जब कुंती को यह पता चला पांडू संतान उत्पन्न नहीं कर सकते तो उन्होंने पांडू की आज्ञा लेकर पवन देव और इंद्र देव को प्रसन्न करके गर्भधारण किया. जिनसे उन्हें युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन के रूप में तीन पुत्र प्राप्त हुए. इसी तरह से माद्री को नकुल और सहदेव की प्राप्ति हुई थी.
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