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Monday, October 22, 2018

Did you know why the Pandavas had eaten the flesh of their father : क्या आप जानते हैं पांडवों ने अपने पिता का मांस क्यों खाया था


महाभारत की कहानी तो आपने सुनी होगी. महाभारत एक ऐसा अनोखा, विशिष्ट महाकाव्य है, जिसकी अनेक कहानियां आज भी ऐसी है जिनके बारे में पूरा ज्ञान  लोग नहीं है. बहुत सारे लोगों ने टीवी पर महाभारत को देखा होगा. कुछ लोगों ने महाभारत को पढ़ा भी होगा और कुछ ने  इसकी कहानी सुनी होगी.
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आज हम महाभारत की एक घटना के बारे में आपको बताने वाले हैं.  इस घटना के बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे. पांडवों  के पिता का नाम पांडू था. उसके 5 पुत्र थे. युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और  सहदेव. इन पांचों को ही पांडव पुत्र कहा जाता है. युधिष्ठिर,  भीम और अर्जुन की मां का नाम कुंती था. नकुल और सहदेव की मां का नाम माद्री  था.
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महाभारत की कथा के अनुसार पांडू को ऐसा श्राप मिला हुआ था की यदि वह शारीरिक संबंध स्थापित करते हैं तो उनकी मृत्यु हो जाएगी. इससे बचने के लिए ही कुंती और माद्री को भगवान ने पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया था.
पांडू की इच्छा थी कि उनकी मृत्यु के बाद उसके  पुत्र उसका मांस बांटकर खाए. इसके पीछे उनका कहना  था  कि ये  पांचों पुत्र उनके नहीं है. उन्होंने कहा कि यह मेरा मांस खाएंगे तो उनमें एक तरह से मेरा शारीरिक अंश चला जाएगा तो ये  मेरे पुत्र कहलाएंगे. पांडवों  के पिता की कसम को पूरा करने के लिए पांडवों ने अपने पिता की मृत्यु के बाद उनके शरीर का मांस काटकर के खाया.
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पांचों भाइयों में सबसे अधिक मांस खाने वालों में सहदेव थे. सहदेव ने  अपने पिता के मस्तिष्क के टुकड़ों को खाया. यह कहा जाता है उनको सबसे अधिक ज्ञान प्राप्त था. भविष्य में घटने वाली घटनाओं को भी पहले ही पता लगा लेते थे. लेकिन कृष्ण ने सहदेव को एक श्राप दे दिया था कि यदि वह भविष्य में घटने वाली घटनाओं के बारे में किसी दूसरे को यह जानकारी देंगे तो उनकी तुरंत मृत्यु हो जाएगी. इसलिए सहदेव भविष्य के बारे में जानने के बाद भी एक तरह से अंजान बने रहते थे.

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