व्यक्ति कैसे अर्श से फर्श पर आता है इसका कुछ कहा नहीं जा सकता. वक्त बदलते हुए देर नहीं लगती. इंसान क्या से क्या हो जाता है. जब किस्मत जोर लगाती है तो पहाड़ के ऊपर भी आसानी से चढ़ जाता है और जब किस्मत खराब होती है तो जमीन पर भी ठीक से नहीं चल पाता है.
लेकिन यह सिर्फ किस्मत का खेल नहीं है, मेहनत एवं दूसरे फैक्टर भी काम करते हैं. आइए आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताते हैं जो पहले लाल बत्ती में चलती थी और बाद में बकरियां चराती है.
मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाके में रहने वाली जूली की यह कहानी है. 2005 में जूली को वहां के बदरवास के विधायक ने जिला पंचायत का सदस्य बनाया. कुछ समय बाद ही जिला पंचायत का अध्यक्ष बना दिया. फिर इतना ही नहीं, जूली के काम से प्रभावित होकर के शासन की तरफ से जुली को राज्यमंत्री का पद मिल गया.
राज्यमंत्री का पद मिलते ही जोली को लाल बत्ती की गाड़ी मिल गई. जूली का रुतबा बढ़ गया. प्रतिष्ठा और सम्मान बढ़ा गया. बड़े-बड़े अधिकारी तक हाथ जोड़ने लगे. मैडम कहकर के पुकारते थे. उनका आदर सम्मान करते थे. गांव में आस पड़ोस में, पूरे इलाका में जूली का सम्मान हो गया. लेकिन जैसी ही सरकार बदली तो जुली का पद, प्रतिष्ठा, सम्मान, गाड़ी सब कुछ चली गई और उसके बाद वह बकरियां चराने के लिए, मजदूरी करने के लिए मजबूर हो गई. अपने परिवार का पालन करने के लिए मजदूरी करती है एवं बकरियां चराती है. यहां तक की बकरियां उसकी स्वयं कि नहीं हैं. बल्कि दुसरे की चराती है.
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