हिंदी साहित्य के दो विशिष्ट कवियों के महाकाव्यों, एक आदिकाल के चंदवरदाई
का ‘पृथ्वीराज रासो’ तथा दूसरे भक्तिकाल के सूफी संत परम्परा के कवि मलिक मोहम्मद
जायसी के ‘पद्मावत’, इन दोनों में सिंहलगढ़ द्वीप से चित्तौडगढ़ की कथा का कथानक
मार्मिक ढंग से वर्णित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि चितौड़गढ़ में एक बहरिये (पक्षी पकड़ने वाले) ने एक दिन पक्षी
पकड़ते समय एक तोता पकड़ लिया। शाम को जब वह घर लौटा तो उसे ज्ञात हुआ की वह तोता
आदमी की बोली में बात कर रहा है। वह अपना नाम हीरामन बताता है और सिंहलगढ़ द्वीप
(आज.का श्रीलंका) की राजकुमारी के लिए वर ढूंढ़ने निकला है। बहरिया यह सुनकर परेशान
होता है और अगले दिन उस हीरामन तोते को लेकर चितौड़ के राजा रतन सैन के दरबार में
जाकर सारा वृत्तांत सुनाता है।
राजा रतन सैन उस तोते से बात करता.है और उसे अपने पास रखकर बहरिये को
स्वर्ण मुद्रायें देकर भेज देता है। राजा के हीरामन से प्रतिदिन बात करने से न
केवल राज काज प्रभावित होने लगा वरन् रानी को भी उससे ईर्षा होने लगी। रानी ने
चुपके से अपनी दासी को हीरामन को मारने के आदेश दे दिये। दासी ने तोते की हत्या कर
दी और रानी के समक्ष प्रस्तुत कर दिया। रानी खुश हुई मगर शाम को जब राजा ने आदेश
दिया कि तोते को प्रस्तुत किया जाये, तब दासी ने कहा कि रानी के आदेश से
हमने तोते को मार दिया। तब राजा ने रानी को बुलाया और तलवार निकालते हुए उसे मरने
लगा। इतना देखकर दासी दौड़कर आई और बोली हमने तोते को मारा नहीं है और राजा के समक्ष
तोता प्रस्तुत कर दिया। राजा ने रानी की जान बख्स दी।
फिर राजा की यही दिनचर्या जारी रही। राजा ने हीरामन से पूछा कि क्या तुम
अपनी राज कुमारी से हमें मिलवा सकते हो। तब तोते ने कहा कि राज कुमारी शरद
पूर्णिमा की रात्रि को श्रीलंका (सिंहलगढ़ द्वीप) के समीप शीव मंदिर में पूजा करने
आती है। मैं तब तुम्हें राजकुमारी से मिलवा सकता हूँ। और राजा रतन सैन ने सेना
सहित द्वीप पहुचने की तैयारियों के आदेश दिये और प्रस्थान किया। वहाँ द्वीप
में पहुँचने पर तोते ने.राजकुमारी को रतन सैन के बारे में बताया और शरद पूर्णिमा
की रात को राजकुमारी जब शिव मंदिर पहुँची तो धवल चाँदनी में राजकुमारी पद्मिनी के
अप्रतिम सौन्दर्य को देखकर राजा बेहोश हो गया तथा राजा के वक्ष पर राज कुमारी ने
लिखा : जिसका आशय था कि "जब तुम्हें होश में होना था तब तुम बेहोश हो
गये"। सुबह राजा रतन सैन ने द्वीप पर आक्रमण कर दिया और राजकुमारी पद्मिनी को
जीतकर चितौड़गढ़ ले आया। यह कहानी हमने "पद्मावत और पृथ्वीराज रासो" में
वर्णित है।
कोई कहाँ सुना पाया है, गौरव गान पद्मिनी रानी।
सींहलगढ़ से आकर लिख दी रानी तूने अमर कहानी ।
गढ़ चित्तौड़ का हर कण गाता जौहर गान महा बलिदानी।
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