नमस्कार मैं प्रदीप प्रसन्न। दिल्ली में फैले हुए
स्मोक का वास्तविक क्या कारण है। लोग अलग अलग रुप से कयास
लगा रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि अत्यधिक संसाधन अर्थात
वाहनों की वजह से उनका धुआं वातावरण को दूषित कर रहा है। अतः यह धुआं उन्हीं की वजह से फ़ैल रहा है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि केंद्र होने की वजह से दिल्ली में अत्यधिक
औद्योगिक फैक्ट्रियां या कंपनियां हैं जिनमें उत्पादित सामान की वजह से दिल्ली में
धुआं फैल रहा है। गत वर्ष की तरह कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि दीपावली
के अवसर पर छोड़े गए बम पटाखों की वजह से सारा वातावरण धुंआमय हो गया है। जबकि यह सच नहीं है।
स्मोक का वास्तविक
कारण
जबकि इसका एक वास्तविक कारण यह भी है की दिल्ली के आसपास के कुछ राज्यों
में चावल की पैदावार अत्यधिक होती है। जैसे
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि और उस चावल की पैदावार के बाद बचा हुआ भूसा जलाया
जाता है। दिल्ली घनी आबादी वाला क्षेत्र होने की वजह से इस
धुएं की चपेट में अधिक आता है। दिल्ली में आम आदमी
पार्टी की सरकार है। इसलिए बहुत सारे लोग
सरकार को दोष दे रहे हैं। जबकि आम आदमी पार्टी
ने तो ओड ईवन वाला एक विकल्प दिया था जो एक निराकरण का प्रयास हो सकता है। पूर्णतः निराकार नहीं। पर सवाल यह है कि इसका निराकरण कैसे हो।
स्मोक का निराकरण
इसके लिए एक प्रयास यह किया जा सकता है कि चावल का जो भूसा बचता है उसे
जलाने की बजाए किसान लोग ट्रेक्टर से हअरु (तवा) की जोत लगवा कर उसको बारीक कटवा
दें। फिर उसमें साल में तीन या चार बार पानी दिया जाए तो वह
गल जाएगा। इससे दोहराते तीहरे लाभ होंगे। एक तो यह है कि वह खाद के रूप में तैयार हो जाएगा। जमीन को खाद मिलेगी। दूसरा यह की एक
जलाने से जो वातावरण दूषित होता है और स्मोक फ़ैलता है वह नहीं होगा। तीसरा यह कि हो सकता है आगे से जलाने पर प्रतिबंध लग
जाए अतः उससे पहले ही उपाय किया जा सकता है। जिस तरह से अन्य
वस्तुओं को रिसाइकिल
(पुनःउपयोगी) बनाया जाता है उसी तरह से चावल की बची हुई भूसी को भी एक बेहतर खाद
के रूप में किसान काम में ले सकते हैं और उससे देश, देश के वातावरण तथा स्वयं को
बचा सकते हैं।
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