एक हमारे मित्र के मित्र के चचा हैं ज्ञानचंद चौधरी। ये पूर्व सरपंच रह चुके हैं। वो भी इस मंहगाई के जमाने में पूरे पांच साल। लोग उनकी बहुत इज्जत करते हैं। कारण दो हैं, एक मोहल्ले में सबसे वृद्व नागरिक होने की वजह से तथा दूसरा-नाम के अनुरूप ज्ञान की अपेक्षा रखने की वजह से। ऐसा लोग मानते हैं। हालांकि दूसरा वाला कारण वास्तविक नहीं है। यह तो सिर्फ सरपंच साहब के डर की वजह से ऐसा लिखना पड़ रहा है, नहीं तो उनके सरपंच होने की वजह से लोग उनकी इज्जत सिर्फ दिखावे के लिए उनके सामने करते हैं, पीठ पीछे तो उनको
नहींद्य यह तो सिर्फ सरपंच साहब के डर की वजह से ऐसा लिखना पड़ रहा हैए नहीं तो उनके सरपंच होने की वजह से लोग उनके इज्जत करते हैए वरना पीठ पीछे से तो सब वही करते हैं जो करते हैंद्य ये ग्रामीण दन्त कथाओं के अनुसार कोरे नाम धारी चोधरी नहीं हैं वरनए हिंदी फिल्मो के अमरीशपुरी इस्टाइलिस खलनायक के रूप में नायक का भेष बना कर रहने वाले खास व्यक्तिव के धनी हैंद्य हर मर्ज की दवा ज्ञानचंद चोधरी जी के पास उपलब्ध हैंए और सबसे बड़ी बात इनसे मिलने के लिए किसी अपाइंटमेंट की जरुरत नहीं हैंए बस एक दारू की बोतलए और देशी मुर्गी का एक बच्चाए किशोर नहीं युवाद्य यह इनकी गुरु दक्षिणाए फ़ीस या कंसल्टेंसी या मेहनताना जो भी आप अपनी सुविधा के अनुरूप उचित समझे कह सकते हैंद्य ज्ञानचंद जी अपना जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित कर चुके हैंए २४ घंटे में ये मात्र ६ घंटे ही सोते हैं बाकी घंटे ष्कामष्.वाम करते हैंद्य समाज सेवा तो इनके शरीर में ऐसे बसी हुई हैद्य जैसे भूसे के बोरे में ठूस ठूस के भूसा भरा हो द्य वैसे आप सोच रहे होंगे भूसे के बोरे में और क्या भरा होगाए पता नहीं और भी कुछ हो सकता हैए लेकिन इनके शरीर में भूसा ही हैद्य समाज से समस्याओं को तो ये ऐसे खत्म करना चाहते हैं जैसे गधे के सर पर से सींगद्य अब इस बात पर चाहे किसी को यकीं हो या मत हो की गधे के सर पर सींग थे या नहीं थेद्य जिस को यकीं नहीं हैं वो या तो रीसर्च करे और सिद्ध करे जो भी परिणाम आते हैं उसके आधार परद्य वैसे दो तरह के लोग हैं जो इस बात को नहीं मानते हैं की गधो के सर पर सींग थेद्य नण् एक जिनके सर पर अब भी सींग हैं और नण् दो जो अपने आप को आज भी गधों के वंशज मानने से इंकार करते हैंद्य यह विशिष्ट रिसर्च की गधो के सर पर सींग थे ज्ञानचंद चोधरी जी के अथक प्रयासों से ही संभव हुआ परिणाम हैए जो उनकी एक विशिष्ट सेविका द्वारा किया गया हैंद्य यूँ उनकी सेवाओं व सेविकाओं की भी एक लंबी फेहरिस्त हैए पर यह एक अलग चर्चा होगीद्य क्योंकि स्वयं ज्ञानचंद जी पब्लिकली व पर्सनल दोनों लाइफ को दो द्रष्टिकोण से देखते हैंद्य इसलिए हम भी उनकी पर्सनल लाइफ में नहीं जाते हैंद्य अतरू हम अपना व पाठकों का समय जाया न करते हुए सीधी सीधी बात पर आते हैंद्य
ज्ञानचंद जी का यह मानना है की उनके नाम में बहुत सार्थकता हैण् उनका नाम यथा नाम तथा गुण के अनुसार हैण् ज्ञान के बहुत ही महीन व मह्त्वपूर्ण यंत्र है ओर इतना महत्वपूर्ण यंत्र चाँद ही लोगों को प्राप्त होता हैण् इसलिए उनका नाम ज्ञान प्लस चंद हैण्
नहींद्य यह तो सिर्फ सरपंच साहब के डर की वजह से ऐसा लिखना पड़ रहा हैए नहीं तो उनके सरपंच होने की वजह से लोग उनके इज्जत करते हैए वरना पीठ पीछे से तो सब वही करते हैं जो करते हैंद्य ये ग्रामीण दन्त कथाओं के अनुसार कोरे नाम धारी चोधरी नहीं हैं वरनए हिंदी फिल्मो के अमरीशपुरी इस्टाइलिस खलनायक के रूप में नायक का भेष बना कर रहने वाले खास व्यक्तिव के धनी हैंद्य हर मर्ज की दवा ज्ञानचंद चोधरी जी के पास उपलब्ध हैंए और सबसे बड़ी बात इनसे मिलने के लिए किसी अपाइंटमेंट की जरुरत नहीं हैंए बस एक दारू की बोतलए और देशी मुर्गी का एक बच्चाए किशोर नहीं युवाद्य यह इनकी गुरु दक्षिणाए फ़ीस या कंसल्टेंसी या मेहनताना जो भी आप अपनी सुविधा के अनुरूप उचित समझे कह सकते हैंद्य ज्ञानचंद जी अपना जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित कर चुके हैंए २४ घंटे में ये मात्र ६ घंटे ही सोते हैं बाकी घंटे ष्कामष्.वाम करते हैंद्य समाज सेवा तो इनके शरीर में ऐसे बसी हुई हैद्य जैसे भूसे के बोरे में ठूस ठूस के भूसा भरा हो द्य वैसे आप सोच रहे होंगे भूसे के बोरे में और क्या भरा होगाए पता नहीं और भी कुछ हो सकता हैए लेकिन इनके शरीर में भूसा ही हैद्य समाज से समस्याओं को तो ये ऐसे खत्म करना चाहते हैं जैसे गधे के सर पर से सींगद्य अब इस बात पर चाहे किसी को यकीं हो या मत हो की गधे के सर पर सींग थे या नहीं थेद्य जिस को यकीं नहीं हैं वो या तो रीसर्च करे और सिद्ध करे जो भी परिणाम आते हैं उसके आधार परद्य वैसे दो तरह के लोग हैं जो इस बात को नहीं मानते हैं की गधो के सर पर सींग थेद्य नण् एक जिनके सर पर अब भी सींग हैं और नण् दो जो अपने आप को आज भी गधों के वंशज मानने से इंकार करते हैंद्य यह विशिष्ट रिसर्च की गधो के सर पर सींग थे ज्ञानचंद चोधरी जी के अथक प्रयासों से ही संभव हुआ परिणाम हैए जो उनकी एक विशिष्ट सेविका द्वारा किया गया हैंद्य यूँ उनकी सेवाओं व सेविकाओं की भी एक लंबी फेहरिस्त हैए पर यह एक अलग चर्चा होगीद्य क्योंकि स्वयं ज्ञानचंद जी पब्लिकली व पर्सनल दोनों लाइफ को दो द्रष्टिकोण से देखते हैंद्य इसलिए हम भी उनकी पर्सनल लाइफ में नहीं जाते हैंद्य अतरू हम अपना व पाठकों का समय जाया न करते हुए सीधी सीधी बात पर आते हैंद्य
ज्ञानचंद जी का यह मानना है की उनके नाम में बहुत सार्थकता हैण् उनका नाम यथा नाम तथा गुण के अनुसार हैण् ज्ञान के बहुत ही महीन व मह्त्वपूर्ण यंत्र है ओर इतना महत्वपूर्ण यंत्र चाँद ही लोगों को प्राप्त होता हैण् इसलिए उनका नाम ज्ञान प्लस चंद हैण्
Post a Comment