हिन्दी
भारत की भाषा ही नहीं बल्कि वह भारत की संस्कृति, इतिहास, परंपरा, रीति रिवाज, साहित्य आदि की पहचान है। हिन्दी में अपार
क्षमता है। हिन्दी में रोजगार भी बहुत है। बावजूद इसके कुछ लोग हिन्दी बोलने में
शर्म महसूस करते हैं।
इसका
कारण है अंग्रेजी मानसिकता का हावी होना। विशेष रूप से महानगरों में लोग आजकल
हिन्दी को छोडकर अंग्रेजी की ओर बढ रहे हैं। क्योंकि ये लोग अंग्रेजी बोलकर अपने
आपको कुछ लोगों से भिन्न दिखाना चाहता है। जबकि इन्हें यह पता ही नहीं है कि मात्र
अंग्रेज बोलकर आप विशिष्ट नहीं बन सकते।
कुछ
लोग यह समझते हैं। हिन्दी की अपेक्षा अंग्रेजी में अधिक रोजगार है या उनका भविष्य
सुरक्षित है। इसलिए बहुत सारे लोग भेडचाल में अपने बच्चो को अंग्रेजी मीडियम
स्कूलों में पढा रहे हैं। जबकि ऐसा नहीं है। हिन्दी में बहुत संभावना है।
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