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Friday, September 14, 2018

Hindi is not the mother language but the pride of the nation : हिंदी मातृभाषा नहीं बल्कि राष्ट्र का गौरव है



फक्र होना चाहिए उन लोगों को जो इस देश की भाषा हिंदी बोलते हैं और इसे जीवित रखे हुए हैं. दुनिया में इस का परचम लहरा रहे हैं. इसके लिए हिंदी सिनेमा एवं हिंदी साहित्य में प्रचलित कवि सम्मेलनों का बहुत बड़ा योगदान है.Image result for hindi divas
क्योंकि इन दो माध्यमों से हिंदी बहुत अधिक दूर तक प्रचारित-प्रसारित होती रही है और आज भी हो रही है. किसी भी देश की पहचान उसकी अपनी भाषा होती है. क्योंकि वह भाषा उस देश के इतिहास को, उसके संस्कृति,  उसके गुणों को बयां करती है और भारत के इतिहास को, उसके गौरव को बयां करने वाली भाषा यदि कोई है तो है हिंदी भाषा है.
जबकि दुख की बात यह है कि इस हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा अभी तक नहीं दिया गया है. जबकि राष्ट्रभाषा  के लिए जो नियम व शर्ते होती हैं, वे  सभी हिंदी भाषा में मौजूद हैं. बावजूद उसके कुछ तथाकथित अंग्रेजी मानसिकता के गुलाम लोगों की यह मानसिकता बनी हुई है की हिंदी अंग्रेजी की तुलना में कमजोर भाषा है.
राजकाज का काम हिंदी में नहीं हो सकता. हिंदी साधारण भाषा है. इसलिए इसे राष्ट्रभाषा नहीं बनाया जा सकता. सभी भाषाओं से सभी को प्रेम होना चाहिए, लेकिन अपनी भाषा से अधिक होना चाहिए. यह ठीक ऐसे ही है जैसे सब की मां का सम्मान होना चाहिए लेकिन अपनी मां का सबसे अधिक सम्मान होना चाहिए. तो सभी भाषाओं के सम्मान के साथ-साथ अपनी भाषा का सम्मान अधिक हो इसलिए हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए.

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