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Thursday, May 24, 2018

If there were no comedy : अगर कॉमेडी नहीं होती तो



बनावटीकरण का जीवन व्यक्ति कुछ  दिन, कुछ ही महीने और कुछ ही साल जी सकता है, लेकिन आजकल आधुनिक एवं तकनीकी युग में लोग बनावटीकरण का ही जीवन जी रहे हैं. लेकिन बनावटी करण के जीवन में मजा आता है आनंद नहीं. और वास्तविक जीवन हमें आनंद की अनुभूति कराता है.
इंसान और पशु में सबसे बड़ा अंतर यही है कि इंसान हंस सकता है और पशु हंस नहीं सकता. कॉमेडी इंसान को इंसान ही नहीं बनाती है बल्कि उसमें इंसानियत बची रहे इसलिए भी बहुत कोशिश करती है. निसंदेह कॉमेडी  नहीं होती तो इंसान इंसान नहीं होता, पशुओं की श्रेणी में आने लग जाता.
छोटे बच्चे से लेकर के वृद्ध तक सभी कॉमेडी के बहाने तलाशते रहते हैं और हंसी के लिए कहीं पर जाना नहीं होता है बल्कि वह हमारे चारों ओर फैली होती है.. बस हमें उसे तलाशना है. अपने अंदर के माध्यम से. जिनके  जीवन में हास्य रस है, वह  व्यक्ति हमेशा तरोताजा, सहज, मस्त, आनंदित रहता है और मूल रूप से व्यक्ति यही सब रहना चाहता है.
इसलिए हंसी नहीं होती, कॉमेडी नहीं होती तो ये  सब नहीं होते और ये  सब नहीं होते तो इंसान का कोई महत्व नहीं होता. इसलिए जीवन में कॉमेडी बहुत जरूरी है. जीवन का दूसरा नाम है कॉमेडी.

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