Sunday, May 13, 2018
A poem for Mother on Mother's Day: मातृ दिवस पर माँ के लिए एक कविता
Posted by dr.pradeep kumar on 3:16 AM in others | Comments : 0
माँ के स्नेह के लिए अपने उदगार.
मै काम से आया
तो माँ ने रोटी परोसी
थाली में 4 रोटियां थीं
मैं खा चुका
तो माँ ने एक और रख दी
मैंने कहा माँ
मैं चार रोटी खा चुका हूँ
मेरा पेट भर गया
दो रोटी बची हैं ये तुम खा लो
माँ ने कहा
बेटा मुझे भूख नहीं है
आज मेरा पेट भरा हुआ है
ये दो रोटी भी
तुम खा लो
तुम काम करके आए हो
मैंने दो रोटी खा ली
और यकीन मानिए
मेरा पेट भर गया था
और माँ का भी
क्योंकि मैं जानता था
की मैं रोटी नहीं खाऊंगा
तो माँ भी नहीं खाएगी
और मेरा पेट नहीं भरेगा
तो माँ भी भूखी रहेगी
क्योंकि माँ तो
हमेशा भूखी रहती है
बच्चों के प्रेम की
स्नेह की
उनकी खुशहाली की
उनकी तरक्की की
क्योंकि जिस दिन
माँ का पेट भर गया
उस दिन बच्चे का पेट कभी नहीं भरेगा
बच्चे का पेट इसीलिए भरा है
क्योंकि माँ का पेट ख़ाली है
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