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Wednesday, January 17, 2018

From acting to entertainment, it's a strong 'mukkabaj' film : एक्टिंग से लेकर एंटरटेनमेंट तक, दमदार है यह 'मुक्‍काबाज'

गत वर्ष हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री के लिए बहुत ज्‍यादा अच्‍छा साबित नहीं रहा और कई बड़े-बड़े स्‍टार और करोड़ों के बजट की फिल्मे भी दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच कर नहीं ला पाई. उसकी सबसे बड़ी वजह अगर कोई रही ती वह थी कमजोर कहानियां. लेकिन इस साल बॉक्‍स ऑफिस पर दूसरे ही हफ्ते में रिलीज हुई निर्देशक अनुराग कश्‍यप की फिल्‍म 'मुक्‍काबाज' संभवतः इस शिकायत को दूर करती हुई नजर आ रही है. एक फ्रेश कहानी और दमदार एक्टिंग की बदोलत मुक्काबाज एक शानदार फिल्‍म साबित होगी. मजेदार डायलॉग और खाटी अंदाज में पूरी तरह रची-बसी इस फिल्म की प्रेम कहानी में आपको कहानी, मनोरंजन, रोमांस, एक्शन, डायलोग और अभिनय सब देखने को मिलेगा. इस फिल्‍म में एक निर्देशक के तौर पर अनुराग कश्‍यप एक बार फिर से एक सफल निर्देशक रहे हैं.

श्रवण कुमार (विनीत कुमार सिंह) एक बॉक्‍सर है और बरेली के बाहुबली और डिस्‍ट्रिक बॉक्‍सिंग फेडरेशन के कोच भगवान दास मिश्रा (जिमी शेरगिल) के यहां बॉक्‍सिंग की ट्रेनिंग ले रहे हैं. लेकिन भगवान दास इन बॉक्‍सरों को ट्रेनिंग देने के बजाय उनसे अपने घर के काम कराता है. फिल्‍म के पहले ही दृश्य में श्रवण कुमार अपने बॉक्सिंग के जुनून के चलते भगवान दास से भिड़ जाता है और उसे एक जोरदार पंच लगा देता देता है. कहानी का सबसे बड़ा ट्विस्‍ट है कि जाति से राजपूत श्रवण कुमार को अपने बोक्सिंग कोच भगवान दास की भतीजी सुनैना (जुहा हुसैन) से पहली नजर में ही इश्क हो जाता है. सुनैना गूंगी है. बॉक्‍सर श्रवण का संघर्ष यहीं से शुरू होता है. वह अपनी मुक्‍केबाजी के जुनून  के लिए अपने पिता से संघर्ष करता है और प्‍यार पाने के लिए उसे बॉक्सिंग से अलग करने की कोशिश की जाती है. अब इस फिल्‍म में बॉक्‍सर जीत की होगी या प्रेमी की  इसे देखने के लिए आपको सिनेमाघर तक जाना पड़ेगा. अनुराग कश्‍यप की भाषा में कहें तो 'मुक्‍काबाज' उनकी पहली लव स्‍टोरी फिल्म है और यह सही भी है. लेकिन इस लव स्‍टोरी में खेल संगठनों में होने वाली पॉलिटिक्‍स, छोटे शहरों में जाति व्‍यवस्‍था और ऊंच-नीच झेलते लोग, गुंडागर्दी, गौ-रक्षा के नाम पर हत्याएं, गौ-मांस को लेकर राजनीति, खेल में बाहुबलियों का प्रवेश, नौकरी में खिलाड़ियों की स्थिति, महिलाओं का शोषण जैसे कई विषयों को बयां करने की कोशिश की गई है.
अनुराग कश्‍यप की ही फिल्‍म 'गैंग्‍स ऑफ वासेपुर' में दानिश के किरदार से दर्शकों में पहचान बना चुके विनीत कुमार इस फिल्‍म के मुख्‍य किरदार में हैं. पागल प्रेमी से लेकर जुनूनी बॉक्‍सर तक के शेड्स उन्‍होंने इस फिल्म में जबरदस्‍त अंदाज में दिखाये हैं. इस फिल्‍म से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत कर रहीं एक्‍ट्रेस जोया हुसैन भी अपने रोल में सशक्‍त नजर आई हैं. वह फिल्‍म में मूक किरदार में हैं. इसलिए वह बोलती नजर नहीं आई हैं, जो उस इलाके की महिलाओं की स्थिति को बयां करती है। महिलाओं को कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं है। मुख्‍य विलेन जिमी शेरगिल एक बार फिर दमदार किरदार में दिखें हैं.

फिल्‍म का संगीत बहुत खूबसूरत है. फिल्म के अनुसार ही संगीत का संयोजन किया गया है. हर गाना कहानी से मैच करता हुआ है. कोई भी गाना कहानी से हटकर नहीं लगाता. रचिता अरोरा का संगीत फिल्म के मूड के अनुसार है। उनके गानों से फिल्म आगे बढने में सहयोग महसूस करती है. विनीत कुमार सिंह के अलावा इस फिल्म में मुख्य किरदार निभाने वाले कलाकार हैं- जोया हुसैन, रवि किशन, जिमी शेरगिल, राजेश तैलंग आदि. 

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