फिल्म पद्मावत जब से
बननी प्रारंभ हुई है तब से ही विवादों के घेरे में घिरी हुई है. पिछले कुछ दिनों
से इस फिल्म का नाम एवं इसके कुछ दृश्य परिवर्तित करके इसे 25 जनवरी को रिलीज कर दिया गया है. 25
जनवरी से पहले जब इस फिल्म का प्रीमियर
देखने के लिए प्रशासन ने राजपूत संगठनों के कुछ लोगों को बुलाया तो उनके बयान ही
बदल गए.
इससे पहले पद्मावत को रिलीज नहीं करने के लिए राजपूत संगठन जोर दे रहे थे. उनका कहना था कि यदि पद्मावत फिल्म थिएटर में लगाई गई तो हल्ला बोल देंगे. थिएटर को तोड़ देंगे एवं हिंसा पर उतर आएंगे. लेकिन जब राजपूत संगठनों के लोगों ने पद्मावत फिल्म का प्रीमियर देखा तो उनके बयान बदल गए.
राजपूत योगेश ठाकुर एवं रविंद्र सिंह ने बताया कि पद्मावत फिल्म देखने से पहले हम लोगों को अनेक भ्रांतियां थी और हम भ्रमित थे कि यह फिल्म राजपूत संगठनों की, राजपूत समाज की एवं राजपूत स्त्रियों की छवि को धूमिल करती हुई प्रदर्शित हो रही है और हमें यह भ्रम था कि इस फिल्म में अनेक आपत्तिजनक बातें दिखाई गई है. जो भारतीय राजपूताना इतिहास की छवि को कहीं धूमिल करने की कोशिश की जा रही है. लेकिन फिल्म देखने के बाद यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है. जिससे कि भारतीय इतिहास एवं राजपूताना इतिहास की छवि बेकार होती हो.
सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद पद्मावत फिल्म बुधवार को प्रीमियम के रूप में लांच की गई थी. प्रीमियम देर शाम को लॉन्च किया जाना था. लेकिन राजपूत संगठन के लोग सुबह से ही थियेटरों में जाकर इसका विरोध कर रहे थे और तमाम जगह पर इस तरह की विरोधात्मक बातें सुनाई दे रही थी. विशेष रूप से मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के राजपूत संगठनों एवं सरकारों ने भी इस फिल्म को यहां रिलीज न करने की घोषणा कर रखी थी.
प्रीमियम के समय बैठक में डीसी ने राजपूतों को सलाह दी कि वह पहले फिल्म का प्रीमियर देखें, प्रीमियर देखने के बाद यदि उन्हें कोई आपत्ति हो फिल्म के किसी भी दृश्य को लेकर तो इसकी शिकायत करें. फिर इसका विरोध करें, तो आपका विरोध जायज लगता है. डीसी की सलाह के अनुसार राजपूतों की 31 सदस्यों की कमेटी विशेष रूप से बनाई गई. इन इक्कतीस लोगों को पद्मावत फिल्म का प्रीमियर विशेष रुप से दिखाया गया. फिल्म देखने से पहले जो विरोध, गुस्सा और विक्षोभ इन राजपूतों के लोगों का दिखाई दे रहा था फिल्म देखने के बाद वह एक तरफ से बदल गया.
अबोहर के 2 सिनेमाघरों में कड़ी सुरक्षा के मध्य वीरवार को फिल्म पद्मावत दिखाई गई. इससे पूर्व राजपूत महासभा और जय राजपूताना संघ के कुछ पदाधिकारियों ने पद्मावत फिल्म का जमकर विरोध किया था.
इससे पहले पद्मावत को रिलीज नहीं करने के लिए राजपूत संगठन जोर दे रहे थे. उनका कहना था कि यदि पद्मावत फिल्म थिएटर में लगाई गई तो हल्ला बोल देंगे. थिएटर को तोड़ देंगे एवं हिंसा पर उतर आएंगे. लेकिन जब राजपूत संगठनों के लोगों ने पद्मावत फिल्म का प्रीमियर देखा तो उनके बयान बदल गए.
राजपूत योगेश ठाकुर एवं रविंद्र सिंह ने बताया कि पद्मावत फिल्म देखने से पहले हम लोगों को अनेक भ्रांतियां थी और हम भ्रमित थे कि यह फिल्म राजपूत संगठनों की, राजपूत समाज की एवं राजपूत स्त्रियों की छवि को धूमिल करती हुई प्रदर्शित हो रही है और हमें यह भ्रम था कि इस फिल्म में अनेक आपत्तिजनक बातें दिखाई गई है. जो भारतीय राजपूताना इतिहास की छवि को कहीं धूमिल करने की कोशिश की जा रही है. लेकिन फिल्म देखने के बाद यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है. जिससे कि भारतीय इतिहास एवं राजपूताना इतिहास की छवि बेकार होती हो.
सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद पद्मावत फिल्म बुधवार को प्रीमियम के रूप में लांच की गई थी. प्रीमियम देर शाम को लॉन्च किया जाना था. लेकिन राजपूत संगठन के लोग सुबह से ही थियेटरों में जाकर इसका विरोध कर रहे थे और तमाम जगह पर इस तरह की विरोधात्मक बातें सुनाई दे रही थी. विशेष रूप से मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के राजपूत संगठनों एवं सरकारों ने भी इस फिल्म को यहां रिलीज न करने की घोषणा कर रखी थी.
प्रीमियम के समय बैठक में डीसी ने राजपूतों को सलाह दी कि वह पहले फिल्म का प्रीमियर देखें, प्रीमियर देखने के बाद यदि उन्हें कोई आपत्ति हो फिल्म के किसी भी दृश्य को लेकर तो इसकी शिकायत करें. फिर इसका विरोध करें, तो आपका विरोध जायज लगता है. डीसी की सलाह के अनुसार राजपूतों की 31 सदस्यों की कमेटी विशेष रूप से बनाई गई. इन इक्कतीस लोगों को पद्मावत फिल्म का प्रीमियर विशेष रुप से दिखाया गया. फिल्म देखने से पहले जो विरोध, गुस्सा और विक्षोभ इन राजपूतों के लोगों का दिखाई दे रहा था फिल्म देखने के बाद वह एक तरफ से बदल गया.
अबोहर के 2 सिनेमाघरों में कड़ी सुरक्षा के मध्य वीरवार को फिल्म पद्मावत दिखाई गई. इससे पूर्व राजपूत महासभा और जय राजपूताना संघ के कुछ पदाधिकारियों ने पद्मावत फिल्म का जमकर विरोध किया था.
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