नाथूराम गोडसे भारतीय इतिहास में सबसे रहस्यमय व्यक्तियों में से एक माने जाते हैं. जिनके बारे में अनेक दस्तावेज होने के बाद भी पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या करने के बाद गोडसे चर्चा में आए थे. उनके ऊपर जितनी भी खोज की गई उसके बाद ही खोज की थी. गांधी जी की हत्या के बाद गोडसे को सजा सुनाई गई थी. हालांकि बाद की सरकारों ने अनेक प्रकार की गलतफहमी भी उनके बारे में प्रचारित की. गोडसे के बारे में अनेक तरह की सच्चाइयां एवं उसकी कहानी के मूल कारणों को अक्सर आम जनता से छुपाया जाता रहा है. आइए हम आपको 10 प्रमुख बातें गोडसे के बारे में बताते हैं.
१ मुस्लिम तुष्टिकरण
नाथूराम गोडसे देशभक्त राष्ट्रवादी थे. वे देश का विभाजन सहन नहीं कर पा रहे थे. गांधी मुस्लिम वर्ग के लोगों को खुश करने में लगे थे और विशेष तौर पर जिन्ना को. गांधी पाकिस्तान के प्रति बहुत उदारता दिखा रहे थे. देश के अन्य युवाओं के समान गोडसे ने भी जिन्ना की राजनीति को एक तरह से ब्लैकमेल बताया था और इस बात को सहन नहीं कर पा रहे थे. उनकी आंखों के सामने ही उसकी मातृभूमि के 2 भाग हो गए थे.
२ स्वतंत्रता सेनानी
नाथूराम गोडसे दृढ़ स्वतंत्रता सेनानियों में से गिने जाते हैं. अपनी गतिविधियों के कारण उनका प्रमुख नाम था. उन्होंने गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन का पूरी तरह से पालन किया. इसलिए उन्हें देश का एक मूल्यवान स्वतंत्र सेनानी कहा जाता था. अगर उन्होंने गांधी जी को न मारा होता तो उन्हें उस समय के सबसे बड़े स्वतंत्रता सेनानियों में से गिना जाता.
३ हिंदू और सिख शरणार्थियों की दुर्दशा
नाथूराम गोडसे अक्सर दूसरों के दुखों को महसूस किया करते थे. पाकिस्तान में मुसलमानों के हाथों हिंदू और सिख शरणार्थियों की दुर्दशा हो रही थी या उन्हें जो दिक्कत हो रही थी इन स्थितियों को गोडसे सहन नहीं कर पाए. इसलिए उनका गुस्सा पाकिस्तान, मुसलमान एवं इन दोनों का समर्थन करने वाले गांधी के प्रति बढ़ता चला गया.
४ एक लेखक और संपादक
नाथूराम गोडसे अपने समय के काफी पढ़े-लिखे व्यक्तियों में से गिने जाते हैं. वह अपने मित्र आप्टे के साथ मिलकर ‘अग्रणी’ नामक समाचार पत्र भी चलाया करते थे. वे इस समाचार पत्र के संपादक थे और इसके लिए नियमित लेख लिखते थे.
५ दयालु व्यक्ति
जो लोग यह मानते हैं कि गोडसे एक हिंदू कट्टरपंथी व्यक्ति था. वे पूर्ण तरह सही नहीं है. नाथूराम गोडसे बहुत पढ़े-लिखे व्यक्ति थे. उन्होंने विभाजन के समय बहुत से हिंदू परिवारों की मदद की. लेकिन बिना किसी मुस्लिम परिवार को नुकसान पहुंचाए. भारत पाकिस्तान के विभाजन के समय हिंदू और मुसलमानों की बड़ी संख्या दोनों ही देशों के लोगों के मध्य हिंसा फैलाने में लगी हुई थी. लेकिन गोडसे उस समय भी प्रत्येक धर्म के लोगों को मदद पहुंचाने का कार्य कर रहे थे. बल्कि उन्होंने उस हिंसक भीड़ के मध्य कई लोगों की जान भी बचाई.
६ हिंदू कट्टरपंथी
नाथूराम वीर सावरकर के अनुयाई थे. वीर सावरकर की विचारधारा में वे विश्वास करते थे. हालांकि उन्होंने गांधी के लेखन का भी बहुत पालन किया है लेकिन वीर सावरकर के कार्यों से अधिक प्रभावित थे.
७ वजह जरुर है
यद्यपि महात्मा गांधी की हत्या किसी भी तरह से उचित नहीं थी लेकिन गोडसे के अनेक पक्षों को इस वजह से दबाया गया है. यह भी उचित नहीं है. यहां तक कि गोडसे की लिखी हुई किताबें प्रतिबंधित कर दी गई. उनके खिलाफ देशद्रोह का आरोप लगाया गया. सही तथ्यों की जानकारी नहीं है. ऐसा उनके बारे में पढ़ने से ज्ञात होता है. इस बात से यह भी स्पष्ट होता है कि गांधी की हत्या करने के बाद भी वे वहीं खड़े रहे. पुलिस को खुद को गिरफ्तार करने के लिए बुलाया. लेकिन अफसोस कि इस दृश्य के पीछे की कहानी का खुलासा बहुत स्पष्ट रुप से अभी तक नहीं हो पाया.
८ दिल से गांधी की पूजा
ऐसा कहा जाता है कि नाथूराम गोडसे अपने युवा दिनों में गांधी के बहुत बड़े समर्थक थे. राष्ट्र से संबंधित उनकी विचारधाराओं से बहुत अधिक प्रभावित थे. इसलिए गांधी को और उनकी विचारधारा को बहुत मानते थे. गांधी के साथ उनकी कभी भी वैचारिक या व्यक्तिगत कोई दुश्मनी नहीं रही. यहां तक कि गांधी को मारने से पहले उन्होंने उनके सामने प्रणाम किया. उनके सामने झुके.
९ सामाजिक कार्यकर्ता
नथुराम गोडसे जन्म से ब्राह्मण थे. पारंपरिक हिंदू संस्कृति के परिवेश में पले-बढ़े थे. लेकिन इस सबके बाद भी वह स्वतंत्र विचारधारा को मानने वाले थे. जो उन्हें दूसरों से अलग करती है. छुआछूत, अंधविश्वास आदि सामाजिक बुराइयों को भी वे नहीं मानते थे. जाति विरोधी आंदोलन में भी शामिल हुए. पूरे उत्साह के साथ समाज की इस तरह की बुराइयों को दूर करने में लड़े और उनके साथ जुड़े रहे.
१० गांधी के समर्थक से उनके हत्यारे तक
यद्यपि अधिकतर भारतीय जानते हैं कि नाथूराम गोडसे गांधी के अनुयाई थे. बावजूद इसके बहुत कम लोग जानते हैं कि नाथूराम द्वारा गांधी जी को गोली मारने के पीछे वास्तविक वजह क्या थी. गोडसे द्वारा लिखित कुछ दस्तावेजों के अनुसार गांधी जी की हत्या के पीछे प्राथमिक कारणों में से गिना जाता है जिन्ना की अनुचित मांग. उनके कारण 55 करोड़ रुपए पाकिस्तान के लिए आवंटित करना. देश के अधिकांश लोग इस फैसले के खिलाफ थे. ये कुछ महत्वपूर्ण और विशिष्ट 10 बातें गोडसे से जुड़ी हुई है. कैसी लगी पोस्ट. कमेंट में जरूर लिखें. धन्यवाद.
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