लोकपाल बिल में हर पार्टी व व्यक्ति अपना संशोधन जुडवाना चाहता है |लोकपाल बिल को मजबूत करने के लिए ? लोकपाल बिल को भविष्य के लिए सफल बनाने के लिए ?लोकपाल बिल को सशक्त रूप से लागु करने के लिए ?या कोई अन्य कारण है ? कोई भी पार्टी लोकपाल बिल के पास होने में व्यवधान नहीं डाल रही है ,बल्कि सभी पार्टियाँ उसमे कुछ ना कुछ जोड़ना चाहती हैं ताकि लोकपाल बिल मजबूत हो सके ,और कमजोर लोकपाल जल्द बाजी में ना आजाये इसके लिए ही बहस कर रहीं हैं | मगर फिर एक सवाल सामने आता है की फिर इस पर सार्थक बहस करने के लिए भी तैयार नहीं है कोई पार्टी व इसे लागु करने के लिए भी तैयार नहीं कोई भी पार्टी ? क्या वास्तव में ये अभी पार्टियाँ लोकपाल बिल लाना चाहती हैं ? या मात्र दिखावा है -कोरा संसद में टाईमपास करने का ? जब सब ये मानते हैं की देश में भ्रष्टाचार है और उसे मिटाना चाहिए तो फिर वह मिटाना चाहिए, उसके लिए ज्यादा बहस करने की जरुरत क्या है ? और यदि फिर भी लगता है की नहीं बहस की जरूरत है तो कीजिये बहस -सार्थक बहस , एक जगह सभी लोग बैठ कर | उसे बन्दर बाट क्यों बनाया जा रह है , मेंढक तोलने की तरह ,हर कोई अपनी अलग तराजू लेकर बैठा है | कोई मैदान में ,कोई संसद में ,कोई संगोष्टी में ,कोई अखबार में, कोई घर में ,कोई दफ्तर में | ऊपर से यह पलोथन और लगाया जाता है की इससे तो साठ प्रतिशत भ्रष्टाचार ही खत्म होगा, इससे तो चालीस प्रतिशत भ्रष्टाचार ही खत्म होगा , भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाने वाले खुद ही भ्रष्ट हैं , अरे आपको उसकी प्रतिशतता नापना है या भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए लोकपाल बिल लाना है | और जनता हर नेता को देश का विकास करने के लिए चुनती है और विकास देश में होता है या नेता के घर में यह भी देख लीजिय, और संविधान में संसोधन कर कानून बनाये जाते हैं ताकि बेईमानी या अनैतिक कार्य ना हो सके -इसके बाद भी क्या ये सब पूर्ण रूप से रुकता है और क्या कानून बनाने वाले स्वयम पाक साफ़ होते हैं ?
प्रदीप प्रसन्न ,
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