रामदीन काकू
एक दिन ले आये चाकू
बोले कहाँ हैं डाकू
काकी बोली ज्यादा पीली है क्या ?
या रात की ही नहीं उतरी है क्या ?
क्यों इतने जोश में हो
लगता है बेहोश में हो
काकू बोले झूट बोलती है
सब्जी वाले की तरह कम तोलती है
मैं आज नहीं मानूंगा
डाकू को मारूंगा
काकी ने सोचा उतारनी ही पड़ेगी
बात ऐसे नहीं बनेगी
काकी ने निकाला बेलन नूमा लठ्ठ
यह देख के एक चूहे की पेंट गीली हो गई झटपट
और वह बिल में घुस गया
नवाज शरीफ की तरह छुप गया
काका बोले मोहतरमा कमाल करती हो
तुम डाकू तो नहीं लगती हो
फिर यह लठ्ठ और गुस्सा क्यों दिखाती हो
सीधा सीधा कह दो कपडे भी धोने हैं बर्तन तो रोज मंजवाती हो
काकी ने कहा बर्तन मांझते हो तो कौनसा एहसान करते हो
बताओ इसके अलावा घर का कौनसा काम करते हो
काका बोले पहेली मत बुझा
मुझे बातों मैं मत उलझा
डाकू कहाँ हैं ये बता दे
अनपढ़ हूँ इसलिए इशारे से ही समझा दे
काकी ने कहा वो जमाना पुराना था
जंगल में डाकू रहता हैं महज एक गाना था
परन्तु आजकल डाकू एकवचन नहीं बहुवचन हो गए हैं
इसलिए जंगल में नहीं डाकू घर घर में हो गए हैं
प्रदीप प्रसन्न
एक दिन ले आये चाकू
बोले कहाँ हैं डाकू
काकी बोली ज्यादा पीली है क्या ?
या रात की ही नहीं उतरी है क्या ?
क्यों इतने जोश में हो
लगता है बेहोश में हो
काकू बोले झूट बोलती है
सब्जी वाले की तरह कम तोलती है
मैं आज नहीं मानूंगा
डाकू को मारूंगा
काकी ने सोचा उतारनी ही पड़ेगी
बात ऐसे नहीं बनेगी
काकी ने निकाला बेलन नूमा लठ्ठ
यह देख के एक चूहे की पेंट गीली हो गई झटपट
और वह बिल में घुस गया
नवाज शरीफ की तरह छुप गया
काका बोले मोहतरमा कमाल करती हो
तुम डाकू तो नहीं लगती हो
फिर यह लठ्ठ और गुस्सा क्यों दिखाती हो
सीधा सीधा कह दो कपडे भी धोने हैं बर्तन तो रोज मंजवाती हो
काकी ने कहा बर्तन मांझते हो तो कौनसा एहसान करते हो
बताओ इसके अलावा घर का कौनसा काम करते हो
काका बोले पहेली मत बुझा
मुझे बातों मैं मत उलझा
डाकू कहाँ हैं ये बता दे
अनपढ़ हूँ इसलिए इशारे से ही समझा दे
काकी ने कहा वो जमाना पुराना था
जंगल में डाकू रहता हैं महज एक गाना था
परन्तु आजकल डाकू एकवचन नहीं बहुवचन हो गए हैं
इसलिए जंगल में नहीं डाकू घर घर में हो गए हैं
प्रदीप प्रसन्न
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