कविता
सर्दी मे तपने के लिये
एक अलाव है .
जो अपने भावो की
गर्माहट से
सर्दी भगाती नहीं,
सिर्फ
गर्माहट का
एहसास दिलाती है
और
यह एहसास भी
सिर्फ
मनुष्य को होता है .
मनुष्य की खोल मे
रह रहे
भेड़िये को नहीं .
प्रदीप प्रसन्न
Post a Comment