कसक ये नहीं की हम आज तक कंवारे हैं,
कैसे उन बिन अपने आप को सँवारे हैं .
गहन पीड़ा तो मन में तब होती है जब ,
वो कहते हैं बच्चो,यही हैं वो जो मामा तुम्हारे हैं .
लालू भी लोकपाल बिल से मुलायम होने लगे हैं,
बिन पिए ही अपने होश वो खोने लगे हैं .
कहते हैं लोकपाल से सांसदों की पूछ खत्म हो जायेगी,
राबड़ी पी हैं या चारा खाया है पता लग जायेगा तो मूछ खत्म हो जाएगी
प्रदीप प्रसन्न
कैसे उन बिन अपने आप को सँवारे हैं .
गहन पीड़ा तो मन में तब होती है जब ,
वो कहते हैं बच्चो,यही हैं वो जो मामा तुम्हारे हैं .
लालू भी लोकपाल बिल से मुलायम होने लगे हैं,
बिन पिए ही अपने होश वो खोने लगे हैं .
कहते हैं लोकपाल से सांसदों की पूछ खत्म हो जायेगी,
राबड़ी पी हैं या चारा खाया है पता लग जायेगा तो मूछ खत्म हो जाएगी
प्रदीप प्रसन्न
प्रदीप भाई अंतर्जाल(इंटरनेट) पर आपका स्वागत है ।
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