BREAKING NEWS

Contact

Saturday, December 31, 2011

Poem's latter for a poet : कविता की चिट्ठी कवि के नाम

कविता की चिट्ठी कवि के नाम  


इस  कडकती ठण्ड रूपी
 संसद  सत्र के प्रकोप से
 सूरज भी हड़ताल पर चला गया है ,
और युवाओ का जोश  भी
 सारा राहुल बटोर रहा है ,
 रहे सहे बुड्डे व बच्चे
 लाखो हजारे के पीछे लगे हुए हैं ,
 कुछ नाम का वर करने  वाले
 व राजाओ के इंद्र व सूर्य  के चेले,
अच्छी बुधि  के ईस,
 कालिये-धोलिये ,
अ शोक से तृप्त - 
 पकोड़ी बेच रहे है
, अपनी अलग अलग दुकान खोल कर  -
ज्यादा तर दिल्ली में 
व कुछ दायें बांयें ,
आलू चना
 व सम इच्छा के नाम की चटनी मिलाकर. 
 अत: आपसे निवेदन है
 आप जल्दी आ जाइये ,
वरना मेरे रहे सहे कपडे भी
 फाड़ दिए जायेंगें 
.वैसे आजकल 
 सबको अच्चा लगता है
 कम कपडे पहनना 
,पर मेरे पास कुछ छोड़ा ही न
 जिसे में ढक कर रखूं ,
 सब तो ले गए .
 छन्द रूपी नुपुर ,
ताल रूपी करधनी ,
भाव रूपी चोली ,
अलंकार रूपी ओढ़नी , 
शिष्ट शब्द रूपी घघरी , 
लय रूपी केश, 
यति -गति रुपि आभूषण व मोहकता ,
 रस रूपी हरिद्यंगम श्रोता 
-कुछ भी तो नहीं बचा है मेरे पास .
आप भी मुझसे रूठ गए हैं
 व इन लोगो में ही शामिल हो गए हैं,
 अत: दोष आपका भी कम नहीं है ,
 फिर भी
 अब तो आजाइए , 
वरना मैं भी
 तीन  बार कह दूंगी
 त.. त... त.. 
जैसे आप व और लोग मुझसे कह चुके   हैं  
आप से फिर मिनले की आशा मैं 
आ .....की .... सब ...की......कविता ....


प्रदीप प्रसन्न   

Post a Comment

 
Copyright © 2014 hindi ki bindi Powered By Blogger.